आगरा यात्रा के दूसरे चरण में मैं आपको ले जाऊंगा एक ऐसी जगह जो आगरा से मात्र ३७ किमी पर ही स्थित है। देखने तो हम सिर्फ ताजमहल आये थे पर जिनलोगों ने इसे बनाया था उनका भी अतीत जानने के लिए यहाँ आना नितांत आवश्यक है। इसीलिए सूरज की झुलसाती तपिश की परवाह न करते हुए हम निकल पड़े आगरा से मात्र एक घंटे की दुरी पर फतेहपुर सिकरी में, मुगलों द्वारा नियोजित प्रथम शहर जिसे अकबर ने बसाया था।
नीचे के चित्र में आप सिकंदरा में अकबर के मकबरे का एक द्वार देख सकते हैं। यह सिकंदरा में आगरा से आठ किमी की दुरी पर है।
अब हम सीधे अब फतेहपुर की ओर रवाना हो गए। ज्यों ही हम फतेहपुर सिकरी के परिसर में दाखिल हुए हमें अनेक टूरिस्ट गाइडो ने घेर लिया। सब हमें अपने साथ ले जाना चाह रहे थे। हमने किसी एक के साथ बातचीत कर सिकरी परिसर में कदम रखा। धुप काफी तेज थी और हम तुरंत कार से निकले थे इसीलिए हमें काफी दिक्कत का सामना करना पड़ा। अंदर दाखिल होने पर उसने हमें सेख सलीम चिस्ती का दरगाह दिखलाया। उसने बताया की मुग़ल के सोलहवे वंशज अभी भी नजदीक ही रहते है जो कालचक्र में राजा के जगह आम जीवन जी रहे हैं। यहाँ पानी की कमी हुआ करती थी जिसके कारण अकबर ने अपनी राजधानी को आगरा स्थानांतरित किया। भवन के अंदर एक प्राकृतिक वातानुकूलन की व्यवस्था थी। कहा जाता है की उस समय बगल में स्थित तालाब से हवा टकराकर इसके अंदर प्रवेश करती थी।
इसी परिसर में शाहरुख़ खान के फिल्म परदेस के गाने दो दिल मिल रहे है.... मगर चुपके चुपके की शूटिंग हुई थी।
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